बिहार में जंगलों का दायरा बढ़ने और बेहतर संरक्षण की वजह से राज्य में बाघों की संख्या बढ़ी है। खास करके वाल्मीकि टाइगर रिजर्व( वीटीआर) में इनकी संख्या बढ़ी है। इसके अलावा पटना जू में भी 4 शावकों ने जन्म लिया है। वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फंड (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) इंडिया के आंकड़े के अनुसार राज्य के इकलौतेवाल्मीकि टाइगर रिजर्व पश्चिमी चंपारण में पिछले साल 40 बाघ थे। इस साल इनकी संख्या बढ़कर 56 हो गई है। इनमें 48 वयस्क और आठ शावक हैं। इसी तरह पटना चिड़ियाघर में पांच वयस्क और चार शावक मिलाकर कुल नौ बाघ हो गए हैं। राजगीर जू सफारी में दो बाघ हैं।
राज्य में विचरण कर रहे हैं 67 बाघ।
वर्तमान में राज्य में 67 बाघ विचरण कर रहे हैं। वीटीआर के विभागीय आकड़ों के अनुसार बीते डेढ़ दशक में बाघों की संख्या में चार गुना बढ़ोतरी हुई है।
देश में बाघों की संख्या की रिपोर्ट प्रत्येक चार वर्ष पर जारी की जाती है। 2006-10 की रिपोर्ट के अनुसार
वीटीआर में 10 बाघ थे। 2010-14 की रिपोर्ट में संख्या बढ़कर 22 पर पहुंच गई। 2014-18 की गणना
में 33 बाघ व सात शावक मिले। 2018-22 की रिपोर्ट में बाघों व शावकों की संख्या 50 पार करने की
उम्मीद जताई गई थी।
वीटीआर में बाघों को मिल रहा बेहतर माहौल।
डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के क्षेत्रीय प्रबंधक डॉ. कमलेश मौर्या के अनुसार बेतिया बाघों के मामले में संरक्षित क्षेत्र
बनता जा रहा है। वीटीआर के जंगलों का दायरा 890 वर्ग किलोमीटर में है। इसमें ग्रास लैंड एरिया 7
फीसदी हुआ है। ग्रास लैंड एरिया के बढ़ने से बाघों में इजाफा हुआ है। वीटीआर के वन संरक्षक नेशामणी
ने बताया कि बेहतर माहौल व भरपूर भोजन से बाघों की संख्या बढ़ी है। ग्रासलैंड के चलते शाकाहारी
जानवरों के बढ़ने से बाघों को शिकार उपलब्ध हो रहा है।