अब निजी एजेंसियों के जिम्मे होंगे बिहार के ये सात नेशनल हाईवे। टैक्स भरने के लिए हो जाइए तैयार।

केंद्र सरकार लगातार निजी करण की तरफ कदम बढ़ा रही है। आने वाले एक-दो सालों में रेलवे स्टेशन व्हाट से लेकर सड़क तक प्राइवेट करने की सरकार की योजना है। इसी योजना के तहत अब बिहार के 7 नेशनल हाईवे की देखरेख की जिम्मेवारी प्राइवेट एजेंसियों के हाथों में होगी। इसके तहत करीब 516 किमी की लंबाई में नेशनल हाइवे को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप(पीपीपी) मॉडल पर 2023 तक निजी एजेंसियों को सौंपा जायेगा। बता दें कि अगले 30 सालों तक इन नेशनल हाईवे की देखरेख निजी एजेंसियां करेंगी

जानकारी के अनुसार निजी एजेंसियां ही इस पर टोल टैक्स की वसूली करेंगी। इसी टैक्स के पैसे से वह नेशनल हाईवे की देखरेख करेंगी तथा भविष्य में ट्रैफिक बढ़ने पर सड़कों का चौड़ीकरण करेंगी।

पिछले दिनों वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बिहार के कई रेलवे स्टेशन समेत इन सात नेशनल हाईवे निजी हाथों में देने का फैसला लिया था। इनमें खगड़िया-पूर्णिया 70 किमी, मोकामा-मुंगेर 69 किमी, मुजफ्फरपुर-सोनवर्षा 142 किमी, पूर्णिया-दालकोला 36 किमी, हाजीपुर-मुजफ्फरपुर 39 किमी, कोटवा-मेहसी-मुजफ्फरपुर 80 किमी, बाराचट्टी-गाेरहर 80 किमी नेशनल हाइवे शामिल हैं।

राज्य सरकार के सूत्रों ने बताया है कि सड़कों की देखरेख की जिम्मेदारी निजी हाथों में देने की पहल राज्य सरकार की नहीं है। यह पूरी तरह से केंद्र सरकार का फैसला है। यह सड़कों के बेहतर देखरेख के लिए किया जा रहा है। पीपीपी मॉडल पर सड़कों की देखभाल करने की जिम्मेदारी देना सड़कों का निजीकरण करना नहीं होता।