अब बिना डिग्री के बन सकेंगे प्रोफेसर। मोदी सरकार लागू कर रही नई व्यवस्था।

अब तक आपने सुना होगा कि विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों में प्रोफेसर बनने के लिए नेट, पीएचडी की योग्यता होनी जरूरी थी। लेकिन अब बिना डिग्री के ही प्रोफेसर बनने की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इसके तहत विभिन्न क्षेत्रों के महारथी शैक्षिक योग्यता के बिना भी प्रोफेसर बनकर दो साल तक सेवाएं दे सकेंगे। इसमें गायक, नृतक, उद्योग, समाजसेवी से लेकर अन्य क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल होंगे। आईआईटी और आईआईएम में पहले से प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस योजना लागू है।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की 18 अगस्त को यूजीसी की बैठक आयोजित हुई थी। इसमें तीन प्रस्ताव को मंजूरी मिली है। इसमें सबसे प्रमुख प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस है। प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस को मंजूरी के बाद अब विश्वविद्यालयों में नेट और पीएचडी के बगैर भी प्रोफेसर बनकर सेवाएं देने का रास्ता खुल गया है।

इन क्षेत्रों के विशेषज्ञ बिना डिग्री बन सकेंगे प्रोफेसर।

आयोग द्वारा मंजूर इस योजना के मसौदा दिशा निर्देश के अनुसार इंजीनियरिंग, विज्ञान, मीडिया, साहित्य, उद्यमिता, सामाजिक विज्ञान, ललित कला, लोक सेवा, सशस्त्र बल आदि क्षेत्रों के विशेषज्ञ इस श्रेणी में नियुक्ति के पात्र होंगे। मसौदे के अनुसार जिन लोगों ने विशिष्ट पेशों में विशेषज्ञता साबित हो या जिनका सेवा या अनुभव कम से कम 15 वर्षो का हो, विशेष रूप से वे वरिष्ठ स्तर पर हों, वे प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस श्रेणी के लिए पात्र होंगे।