रेलवे की तरफ से पिछले 8 वर्षों में बिहार में 309 किलोमीटर नई रेल लाइन बिछाई गई है। हालांकि नई रेल परियोजनाओं में सबसे बड़ी समस्या जमीन अधिग्रहण से जुड़ी हुई है। कई जगहों पर जमीन अधिग्रहण पर विवाद चल रहा है। कुछ जगहों पर किसान अपनी जमीन नहीं देना चाहते हैं। पिछले दिनोंराजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की बैठक में भू अर्जन अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि जमीन से जुड़े सभी हितकारकों से बात करके समस्या का निदान करें।शनिवार को आयोजित बैठक में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अधिकारियों के अलावा रेलवे, एनएच, एनएचएआइ और सशस्त्र सीमा बल के अधिकारी भी मौजूद थे।
ये परियोजनाएं हैं लंबित।
बता दें कि राज्य में जमीन के कारण कई परियोजना लंबित हैं या देर से कार्यान्वित हो रही हैं। नेऊरा-दनियावां-बिहारशरीफ-शेखपुरा रेल लाइन परियोजना में भी जमीन की बाधा है। पुनपुन थाना चामुचक मंझौली में कुल 15 एकड़ जमीन के अधिग्रहण का विवाद सुलझ गया है। 20 करोड़़ में से सात करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया है। पटना के जिलाधिकारी को जमीन पर रेलवे को दखल दिलाने का जिम्मा दिया गया है। फुलवारीशरीफ अंचल के कोर्जी मोहम्मदपुर, कोर्जी एवं आलमपुर गोनपुरा में भी इस परियोजना के लिए जमीन का अधिग्रहण हो रहा है।
हाजीपुर – सुगौली लाइन।
इस परियोजना के लिए पूर्वी एवं पश्चिमी चंपारण, मुजफ्फरपुर एवं वैशाली जिले में जमीन अधिग्रहण का काम हो चुका है। जमीन पर अधियाची विभाग रेलवे का दखल कब्जा भी हो गया है। रेल लाइन क्षेत्र की 10 संरचनाओं को हटा दिया गया है। इस परियोजना के लिए पूर्वी चंपारण जिला में दो चरणों में 718 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया जाना है। इसमें 227 एकड़ जमीन पर रेलवे का दखल कब्जा हो गया है। मुआवजे की 80 प्रतिशत राशि का भुगतान हो गया है।