कोरोना महामारी के दौरान पूरे देश में लॉकडाउन लगाया गया था और कई ट्रेनों का परिचालन बंद कर दिया गया था। कुछ ट्रेनें चलाई गई थी जिन्हें स्पेशल नाम देकर एक्सप्रेस का किराया वसूला जा रहा था। लॉकडाउन खत्म हुवे कई महीने बीत चुके हैं लेकिन सरकार द्वारा जनता के जेब से रुपया खींचना बंद नहीं हुआ है। अभी भी अधिकांश पैसेंजर ट्रेनों में एक्सप्रेस का किराया वसूला जा रहा है।
ट्रेन नंबर में जीरो लगाकर लूट रहे जनता का पैसा।
बता दें कि पैसेंजर ट्रेन का न्यूनतम किराया 10 रुपए हाेता है। लेकिन, नाम में स्पेशल जाेड़कर 30 रुपए वसूला जा रहा है। एक्सप्रेस ट्रेन की जनरल बोगी में सफर करने पर भी न्यूनतम किराया 30 रुपए लगता है। यानी, पैसेंजर और एक्सप्रेस ट्रेन का न्यूनतम किराया बराबर हो गया है। पैसेंजर ट्रेन वही है, बस नंबर में जीराे जाेड़ देने से वह स्पेशल हाे गई और किराया बढ़ गया। जिस पैसेंजर ट्रेन के नंबर के पहले जीराे नहीं है, उनमें न्यूनतम किराया 10 रुपए ही लिया जा रहा है।
इन ट्रेनों में लग रहा एक्सप्रेस का किराया।
बिहार दैनिक यात्री संघ के महासचिव शोएब क़ुरैशी ने
कहा कि इन ट्रेनों से कमजोर वर्ग के यात्री डेली सवारी करते है। ऐसे लोगों को किराया बढ़ने से काफी परेशानी हो रही है। बता दें कि पटना-गया : 10 जोड़ी पटना-डीडीयू जंक्शन : 9 जोड़ी पटना-वाराणसी : 1 जोड़ी पटना-बक्सर : 2 जोड़ी पटना-आरा : 2 जोड़ी पटना-सासाराम : 1 जोड़ी पटना-मोकामा-राजगीर-झाझा : 9 जोड़ी पटना-पाटलिपुत्र-बरौनी : 3 जोड़ी फतुहा-बक्सर शटल मेमू पटना-बक्सर मेमू दानापुर-रघुनाथपुर तक चलने वाली इन पैसेंजर ट्रेनों में एक्सप्रेस का किराया वसूला जा रहा है।