भारतीय अनुसंधानकर्ताओं ने एक ऐसा अपशिष्ट जल उपचार समाधान विकसित किया है जो कपड़ा उद्योग से औद्योगिक डाई अपशिष्ट जल का पूरी तरह से सुद्घ करके पुन: उपयोग के लायक बना सकता है, साथ ही इसकी विषाक्तता को समाप्त कर सकता है और इसे घरेलू और औद्योगिक उपयोग के लिए उपयुक्त बना सकता है। यह जल उपचार की लागत को कम करता है और शुष्क क्षेत्रों में पानी के पुन: उपयोग की सुविधा प्रदान कर सकता है।
इसे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर के साथ मालवीय राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, जयपुर और एमबीएम कॉलेज जोधपुर के शोधकर्ताओं ने विकसित किया है। इस पूरी तरह से उन्नत उपचार प्रक्रिया में प्राइमरी दोजन के स्टेप के बाद सैंड फिल्ट्रेशन स्टेप, एक और एओपी और बाद में कार्बन फिल्टरेशन शामिल है। यह पारंपरिक प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक प्रक्रियाओं की आवश्यकता को समाप्त करता है।
भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) की जल प्रौद्योगिकी पहल (डब्ल्यूटीआई)के साथभारतीय राष्ट्रीय इंजीनियरिंग अकादमी (आईएनएई) ने लक्ष्मी टेक्सटाइल प्रिंट्स के सहयोग से टेक्सटाइल इंडस्ट्रियल पार्क, जयपुर में इस पायलट-स्केल प्लांट को चालू करने के लिए पायलट स्तर पर इस तकनीक के विकास का समर्थन किया है।