काम करने गए भभुआ के मजदूरों के साथ चेन्नई में दुर्व्यवहार। मजदूरी भी नहीं दिया। जान बचाकर भागे।

पलायन और बिहार का जैसे चोली दामन का साथ हो गया है। तमाम नेतागण और सरकार बड़े-बड़े दावे करती है कि प्रदेश बहुत तरक्की कर रहा है। लेकिन आज भी बिहार के मजदूरों को अपने प्रदेश में काम तक नहीं मिलता। उन्हें दो रोटी कमाने के लिए अपने घर से हजारों किलोमीटर दूर किसी अनजान शहर जाना पड़ता है। पलायन को मजबूर ऐसे ही कुछ भभुआ के मजदूरों के साथ चेन्नई में दुर्व्यवहार किया गया।

एक हिंदी दैनिक की रिपोर्ट के अनुसार भभुआ जिले स्थित अधौरा थाना क्षेत्र के कतरोढ़ गांव निवासी वीरेंद्र चेरों, लक्ष्मी चेरों, पिंटू कुमार, कमलेश चेरो तथा इसी थाना क्षेत्र अंतर्गत बड़वान कला गांव निवासी रंजन सिंह चेरो  काम के सिलसिले में चेन्नई गए थे। बिजली पोल प्लांट में 22 दिन काम करने के बाद उन्हें मजदूरी नहीं दी जा रही थी। फिर वहां से भागकर रेलवे स्टेशन है वहां एक व्यक्ति मिला जिसने यह काम दिलाने की बात कही। व्यक्ति नहीं अभी वादा किया कि ₹12000 मासिक तथा तीन वक्त का खाना मिलेगा। उक्त व्यक्ति के झांसे में आकर वह तीनों उसके निजी कंपनी में काम करने चले गए। जहां 6-7 हफ्ते तक काम करने के बाद भी मजदूरी नहीं दी गई।

इतना ही नहीं उन्हें एक कमरे में बंद करके मारपीट की धमकी दी जाती थी। बीते 16 अगस्त की रात को सभी मजदूर चारदीवारी भाग्य रेल ट्रेन पर बैठ कर पैसों के अभाव में भूखे प्यासे भभुआ पहुंचे।मजदूरों ने बताया कि जो आदमी रेलवे स्टेशन से काम करने के लिए ले गया था, वह लखनऊ जिला क्षेत्र का रहने वाला है, उसका नाम रमेश पटेल है।