मंगलवार को छत्तीसगढ़ और उड़ीसा की सीमा पर नक्सलियों से हुई मुठभेड़ में सीआरपीएफ के 3 जवान शहीद हो गए। शहीद होने वालों में बिहार के रोहतास जिले के रहने वाले धर्मेंद्र कुमार यादव भी शामिल हैं।जिले के काराकाट प्रखंड स्थित दनावर पंचायत के सरैया गांव में शहीद धर्मेंद्र के मौत की खबर पर मातम पसर गया। दोपहर लगभग 2:30 पर नक्सलियों ने घात लगाकर अचानक जवानों पर हमला कर दिया जिसमें लड़ते हुए बिहार का लाल भी शहीद हो गया।
पत्नी से सुबह में हुई थी बात।
घटना की खबर सुनते ही परिजनों में चीख पुकार मच गई। शहीद जवान की पत्नी ने कहा कि मंगलवार सुबह करीब 9 बजे ही उसकी बात हुई थी। धर्मेंद्र ने कहा था कि वो ड्यूटी पर जा रहे हैं। वहां नेटवर्क नहीं रहता है। लौटकर आने पर बात होगी। शाम करीब चार बजे पता चला कि वो अब नहीं रहे।
शहीद जवान धर्मेंद्र कुमार सिंह की साल 2011 में भर्ती हुई थी। उनके पिता रामायण सिंह किसान हैं। धर्मेंद्र की पहली पोस्टिंग मोकामा में हुई थी। इसके बाद वे ओडिशा चले गए। मंगलवार को नऊपड़ा जिला के पथधारा क्षेत्र में नक्सलियों से लोहा लेते हुए वो शहीद हो गए। सूचना मिलने के बाद शहीद जवान के घर गांव के लोगों की भीड़ जुट गई। मातमी सन्नाटा पसर गया।
12 साल के बेटे और 10 साल की बेटी को छोड़ गए धर्मेंद्र।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार शहीद धर्मेंद्र के घर पर छोटे भाई के अलावा माता- पिता और पत्नी आशा देवी रहते हैं। महेंद्र के दो बच्चे हैं जिसमें 12 साल का बेटा और 10 साल की बेटी है। घटना के बाद से पत्नी बदहवास स्थिति में है और दोनों बच्चों का रो-रो कर बुरा हाल है। धर्मेंद्र की शादी 2005 में हुई थी। उनकी पत्नी ने बताया कि उन्हें धर्मेंद्र के दोस्त से घटना के बारे में खबर मिली बाद में रात में सीआरपीएफ के अधिकारियों ने फोन कर जानकारी दी।