पिता अस्पताल के बाहर रेहड़ी पर बेचते थे चाय। बेटे ने आखिरकार निकाला NEET का रिजल्ट। अब बनेगा डॉक्टर।

कुछ लोग तमाम असुविधाओं के बावजूद भी अपना लक्ष्य हासिल कर लेते हैं। सोचिए एक ऐसे पिता के बेटे ने डॉक्टर बनने का सपना देखा जिसके पिता अस्पताल के बाहर हरी पर चाय बेचते थे। तमाम परिस्थितियों मुकाबला करते हुए आखिरकार उसने सपने को पूरा भी किया। यह कहानी है ओड़िशा स्थित फूलबाणी के रहने वाले सूरज कुमार बेहरा जिनके पास कोचिंग की महंगी फीस के पैसे नहीं थे तो ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाई कर अपने सपने को पूरा किया।

सूरज बोहरा ने कही ये बात।

न्यूज़ वेबसाइट द बेटर इंडिया से बात करते हुए सूरज ने बताया कि वह हर रोज़ अपने पिता के साथ रेहड़ी पर हाथ बंटाने जाते हैं। इसके बावजूद उन्होंने NEET में 720 में से 635 अंक हासिल किए हैं।सूरज कहते हैं कि उनके लिए यह सफ़र आसान नहीं था। घर में दादी हैं, मां रूनू बेहरा हैं, दो भाई हैं, और कमरा केवल एक। उन्हें ऐसे ही मैनेज करना था। दोपहर तक काम करने के बाद वह घर आते तो कई बार शोर के बीच पढ़ाई नहीं हो पाती थी। लेकिन इसके बाजवूद उन्होंने अपना फ़ोकस बनाए रखा। उसी माहौल में पढ़ने की आदत डाल ली। वह आगे बताते हैं, “हम जब अपने लिए एक मंज़िल निश्चित कर लेते हैं तो रास्ते में कठिनाइयां कितनी भी हों, उनका असर कम होना शुरू हो जाता है मेरे साथ भी यही हुआ।”

छठे प्रयास में हासिल की सफलता।

सूरज बताते हैं कि वह 2017 से लगातार NEET दे रहे थे। पांच साल पहले, फर्स्ट अटेम्प्ट में उन्हें केवल 150 अंक मिले। 2018 में भी उनके लिए कुछ नहीं बदला, इसमें उन्होंने 159 अंक हासिल किए। लेकिन 2019 आते-आते उन्हें लगा कि आज-कल यूट्यूब पर सभी सब्जेक्ट्स का पूरा कोर्स मौजूद है। वह इसके ज़रिए अपनी पढ़ाई कर सकते हैं। इस साल उन्हें 367 मार्क्स हासिल हुए। साल 2020 कोरोना महामारी के चलते उनके लिए बहुत बुरा साबित हुआ। उनके पिता की तबीयत ख़राब हो गई। ऐसे में पिता की देखभाल करते हुए, उन्होंने पढ़ाई करके NEET दिया तो इस बार फिर सुई 367 पर जाकर ही अटक गई।

2021 के NEET एग्ज़ाम में उन्हें 575 मार्क्स मिले। वह 10 अंक से फिर चूक गए। सूरज कहते हैं कि कई बार असफल होने के बाद फिर खड़ा होना आसान नहीं होता, उन्होंने अपना हौसला बरकरार रखा। 2022 में उन्होंने फिर एग्ज़ाम दिया और इस बार 635 अंकों के साथ NEET क्रैक कर दिया।

इस तरह से पास की परीक्षा।

वे बताते हैं, “पिताजी की इनकम भले ही कम है, लेकिन उन्होंने कभी हमें किसी चीज़ की कमी नहीं महसूस होने दी। बेशक NEET की कोचिंग की फ़ीस नहीं भर सकते थे, लेकिन ऑनलाइन पढ़ाई के लिए पेड ऐप्स पर 4-5 हज़ार रुपए का खर्च उन्होंने मैनेज किया।”वह कहते हैं कि उन्होंने केवल मोबाइल पर लेक्चर को देखकर ही नहीं, बल्कि प्रश्नों के पीडीएफ के प्रिंट निकालकर, लिखकर भी खूब प्रैक्टिस की। NEET के पिछले करीब 10 साल के प्रश्नपत्र हल किए। इससे उन्हें बहुत मदद मिली।