आम जनता इन दिनों चौतरफा महंगाई से घिरी हुई है।हाल ही में दूध- दही, आटा चावल महंगा होने के बाद दूसरे चीजों के दाम भी बढ़ने लगे। सरकार द्वारा स्टेशनरी पर जीएसटी बढ़ाने और बनाने के कच्चे सामान के दामों में वृद्धि के कारण के बाद इनके दामों में वृद्धि देखी जा रही है। कॉपी-किताब और स्टेशनरी की कीमतों में एक बार फिर 15 से 20 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हो गई है।
पेन- पेंसिल और रबर के बढ़े दाम।
कागज की कीमतों में बढ़ोतरी का असर किताबों पर भी पड़ रहा है। कारोबारी इसके लिए स्टेशनरी सामान पर जीएसटी बढ़ोतरी को मुख्य कारण बताते हैं। पेंसिल, शार्पर, स्याही व कलम पर पहले 12 प्रतिशत जीएसटी की दर बढ़ाकर 18 प्रतिशत किया गया है। इसके कारण पांच रुपये में मिलने वाली पेंसिल की कीमत 6 रुपये हो गयी है। वहीं 10 रुपये में मिलने वाले कलम की कीमत बढ़कर 15 रुपये हो गयी है। वहीं 10 रुपये में मिलने वाले रबड़ की कीमत अप्रैल में ही 15 रुपये हुई है। इसी तरह 60 रुपये में मिलने वाला स्केच पेन की कीमत बढ़कर 80 रुपये हो गई है। मार्कर की कीमत भी 55 रुपये से बढ़कर 70 रुपये पहुंच गयी है।
कॉपी – किताब के भी बढ़े दाम।
बता दें कि ब्रांडेड कंपनियों ने कॉपियों की पृष्ठ संख्या कम करने के साथ ही इसकी लंबाई और चौड़ाई तक कम करने लगे हैं। 128 पेज की कॉपी अब 120 पेज की हो गई है। 64 पेज की कॉपी की पृष्ठ संख्या घटकर 48 पेज रह गई है। इसी तरह 64 पेज की कॉपी पहले 10 रुपये में मिलती थी वहीं अब 48 पेज के कॉपी की कीमत बढ़कर 15 रुपये हो गयी है। रफ पेज की कॉपियों की कीमतों में भी इजाफा हुआ है। 80 रुपये में मिलने वाली रफ कॉपी की कीमत सौ रुपये हो गयी है। कारोबारी बताते हैं कि किताबों की कीमत भी पहले की तुलना में 30 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी हो चुकी है।