बिहार के इन 12 जिलों की 10 सड़के का निर्माण कार्य है रुका, जानिए क्या है कारण

जमीन अधिग्रहण के फेर में राज्य की 10 अहम सड़क परियोजनाएं फंसी हुई हैं। कागजों में तो इन परियोजनाओं को मंजूरी मिल चुकी है लेकिन जमीन अधिग्रहण नहीं होने से काम शुरू नहीं हो पा रहा है। 12 जिलों की जुड़ीं इन परियोजनाओं के शुरू नहीं होने से राज्य के लोगों को इनका लाभ मिलने में देरी होगी। अधिकारियों के अनुसार एनएच 527 ई में रोसड़ा से दरभंगा के बीच दो लेन पेव्ड सोल्डर के साथ सड़क निर्माण होना है।

39.5 किलोमीटर लंबी इस सड़क के लिए 120 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण का मामला फंसा है। बिहार-बंगाल की सीमा से अमदाबाद-मनिहारी तक सड़क का जीर्णोद्धार का काम 110 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण के अभाव में लंबित है। एनएच 122 बी में बेगूसराय, वैशाली व समस्तीपुर में 72 किलोमीटर सड़क का निर्माण कार्य मात्र नौ हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण के कारण बाधित है।

कैमूर व बक्सर जिले में एनएच 319ए के तहत 45 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण कार्य 78 हेक्टेयर जमीन के कारण फंसा हुआ है। भभुआ बाईपास का निर्माण 33 हेक्टेयर जमीन के कारण फंसा हुआ है। इसी तरह एनएच 333ए बरबीघा-शेखपुरा-सिकन्दरा-जमुई-खैरा सड़क 72 किलोमीटर लंबी है। इसका निर्माण कार्य लगभग 500 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण के कारण फंसा हुआ है। जंदाहा बाईपास बाजार का निर्माण कार्य शुरू करने के लिए 15 हेक्टेयर जमीन की आवश्यकता है, जबकि रिविलगंज बाईपास निर्माण में 30 हेक्टेयर जमीन बाधा बन रही है।

बिहार-झारखंड की सीमा सरवन से चकाई तक निर्माण कार्य मात्र ढाई हेक्टेयर जमीन के कारण फंसा हुआ है। इसी तरह एनएच 327एडी सरायगढ़-लालगंज-गणपतगंज का निर्माण लगभग 20 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण के कारण लंबित है। जमीन अधिग्रहण में किसानों को भुगतान में हो रही देरी बड़ा कारण है। उपरोक्त सभी सड़क परियोजनाएं 12 जिलों के अधीन है। जिलों के सक्षम प्राधिकार को जमीन अधिग्रहण के बदले आवश्यक राशि दी जा चुकी है, लेकिन भुगतान में देरी की जा रही है।

एक नजर में

  • 7046 हेक्टेयर जमीन की है जरूरत
  • 12895 करोड़ किसानों को होना है भुगतान
  • 9341 करोड़ किसानों को दिया जा चुका है
  • 3554 करोड़ भुगतान का मामला अब भी लंबित

Note : तस्वीर काल्पनिक है।