बिहार के अधिकांश कॉलेजों में छात्र पढ़ने नहीं जाते। प्रोफेसर भी ज्यादा जहमत नहीं उठाते क्योंकि खुद उन्हें भी पढ़ाना नहीं पड़ता है। यह स्थिति खासकर के ग्रामीण इलाकों के कॉलेजों में है। लेकिन सरकार में अब इस पर लगाम लगाने की तैयारी शुरू कर दी है। शिक्षकों की तरह अवैध छात्र-छात्राओं का भी बायोमैट्रिक अटेंडेंस लिया जाएगा। ऐसे में क्लास बंक करना लगभग नामुमकिन सा हो गया है। शिक्षा विभाग अगले साल से राज्य के सभी उच्च शिक्षा संस्थानों में छात्रों के लिए भी यह व्यवस्था शुरू करने की योजना बना रहा है। इस आशय का प्रस्ताव कुलपति के पास स्वीकृति के लिए भेजा गया है।
शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने चांसलर सचिवालय को लिखे पत्र में कहा है कि बायोमेट्रिक छात्रों को पेश करने का निर्णय हाल ही में शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी की अध्यक्षता में कुलपतियों और शिक्षाविदों की बैठक में लिया गया था।
75% उपस्थिति होगी अनिवार्य।
शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने चांसलर को भेजे पत्र में लिखा ‘नई प्रणाली लागू होने के बाद, छात्रों को उनकी उपस्थिति के आधार पर ही परीक्षाओं में बैठने की अनुमति दी जाएगी। ऐसे में अब 75% उपस्थिति हर हाल में होनी जरूरी है। विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को छात्रों की उपस्थिति के अनुसार कक्षाओं के उचित संचालन के लिए आवश्यक व्यवस्था करने का निर्देश दिया गया है।