बिहार के सभी जिलों में टेस्टिंग ट्रैक का होगा निर्माण। धड़ल्ले से बन रहे ड्राइविंग लाइसेंस पर लगेगी लगाम।

हाल के कुछ वर्षों में बिहार में काफी धड़ल्ले से ड्राइविंग लाइसेंस बने हैं। सभी जिलों में टेस्टिंग ट्रैक ना होने के कारण लोग आसानी से ड्राइविंग लाइसेंस बनवा देते हैं।वर्तमान में सिर्फ औरंगाबाद और पटना जिला में टेस्टिंग ट्रैक मौजूद है। इसका असर भी दिखता है और बाकी जिलों की तुलना में औरंगाबाद और पटना जिलों में ड्राइविंग लाइसेंस कम बन रहे हैं और टेस्ट देने वाले लोग ज्यादा फेल हो रहे हैं। इसे देखते हुए राज्य सरकार ने सभी जिलों में ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक बनाने का फैसला लिया है।

9 जिलों को जारी किए गए रुपए।

अधिकारियों के अनुसार क्रमवार तरीके से राज्य के सभी जिलों में ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक बनाए जाएंगे। अभी नौ जिलों को दो करोड़ 80 लाख रुपए जारी किए गए हैं। इसमें वैशाली को 50 लाख, गया 35 लाख, रोहतास 35 लाख, समस्तीपुर 30 लाख, मुजफ्फरपुर 30 लाख, जमुई 25 लाख, शिवहर 25 लाख, लखीसराय 25 लाख और मुंगेर को 25 लाख दिया गया है। इन जिलों को कुल पांच करोड़ 34 लाख 98 हजार 500 रुपए दिए जाएंगे। इसमें से अभी दो करोड़ 80 लाख रुपए दिए गए हैं। जिलों को अगले चरण में बाकी राशि दी जाएगी। राशि जिलाधिकारी सह जिला सड़क सुरक्षा समिति के अध्यक्ष को दी गई है। मौजूदा वित्तीय वर्ष में ही इन जिलों में टेस्टिंग ट्रैक का निर्माण पूरा किया जाएगा।

टेस्टिंग ट्रैक बनने से कुशल चालकों को ही मिलेगा लाइसेंस।

गौरतलब है कि टेस्टिंग ट्रैक के बनने से यातायात नियमों की जानकारी व कुशल चालकों को ही ड्राइविंग लाइसेंस मिला करेगा। इससे सड़क दुर्घटनाओं में कमी आएगी। अभी ड्राइवरों की लापरवाही से 83 फीसदी सड़क हादसे हो रहे हैं। टेस्टिंग ट्रैक का निर्माण करने के पीछे सरकार की मंशा सड़क दुर्घटनाओं को कम करना है।