प्रदेश में पंचायत चुनाव की डुगडुगी बज चुकी है। निर्वाचन आयोग ने 24 सितंबर से लेकर 12 दिसंबर तक 11 चरणों में चुनाव कराने का फैसला किया है।वर्तमान मुखिया और अन्य भावी प्रत्याशी गण लोगों को लुभाने की कोशिश में लग गए हैं। कोई नालियों गलियों की सफाई भी करवा दे रहा है। तो कोई मुर्गा पार्टी का भी आयोजन कर रहा है। लेकिन आपको बता दें कि निर्वाचन आयोग ने कुछ नियम तय किए हैं जिसके तहत कुछ लोग मुखिया समेत अन्य पदों का चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।
राज निर्वाचन आयोग ने उम्मीदवारों और प्रस्तावको के लिए कई नियम तय है किए हैं। इसके तहत आंगनबाडी केंद्र पर तैनात सेविका व सहायिका किसी भी पद के लिए चुनाव नहीं लड़ सकेगी और ना ही वे चुनाव मैदान में उतरने वाले अभ्यर्थी की प्रस्तावक ही बन सकेगी। वही सरकारी नौकरी करने वाले कोई भी व्यक्ति नहीं लड़ पाएंगे ना ही किसी का प्रस्तावक बन पाएंगे।
इसके अलावा विशेष शिक्षा परियोजना, साक्षरता अभियान, शिक्षा केंद्रों पर मानदेय पर कार्यरत अनुदेशक, पंचायत के अधिन मानदेय व अनुबंध पर कार्यरत शिक्षा मित्र, न्याय मित्र, विकास मित्र, टोला सेवक व दलपति केंद्र व राज्य सरकार या किसी स्थानीय प्राधिकार से वित्तीय सहायता पाने वाले शैक्षणिक-गैर शैक्षणिक संस्थानों में कार्यरत कर्मचारी, रसोइया व मानदेय पर कार्यरत कर्मी, गृहरक्षक एवं सरकारी वकील भी पंचायत चुनाव मैं नामांकन नहीं कर पाएंगे और ना ही किसी भी पद के लिए किसी व्यक्ति का प्रस्तावक ही बन पाएंगे।
वही प्रस्तावक बनने के लिए भी निर्वाचन आयोग ने कुछ नियम तय किए हैं। इसके तहत 21 वर्ष से ऊपर के वो व्यक्ति जिनका नाम निर्वाचन क्षेत्र के वोटर लिस्ट में है सिर्फ वही प्रस्तावक बन सकते हैं।