प्रदेश में 25% तक बिजली आपूर्ति कम हो चुका है।एनटीपीसी के तमाम प्लांट कोयले की संकट से जूझ रहे हैं। इस वजह से प्रदेश को अपनी बिजली आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बाजार से बिजली खरीदनी पड़ रही है।
बता दें कि बिहार और देश के तमाम एनटीपीसी प्लांट इस वक्त कोयले की संकट से जूझ रहे हैं। झारखंड स्थित कई कोयला खदानों में पानी भर जाने के कारण कोयले की भरपूर मात्रा में आपूर्ति नहीं हो पा रही है। एनटीपीसी के अधिकारियों ने बिहार की बिजली कंपनी को बताया कि हमारे पास कोयले की कम आपूर्ति की वजह से उत्पादन कम हो रहा है। ऐसे में बिहार को मिलने वाली बिजली की मात्रा में कटौती कर दी गई है। ऐसी स्थिति अगले एक हफ्ते तक बनी रह सकती। बिहार को अधिकांश बिजली बाढ़, कहलगांव, तालचर, फरक्का, कांटी और बरौनी स्थित एनटीपीसी के बिजली घरों से बिजली मिलती है। ऐसे में बिहार में बिजली संकट गहरा गया है।
जानकारी के अनुसार इसीएल (ईस्टर्न कोल लिमिटेड) और सीसीएल (सेंट्रल कोल फील्ड) कोयले की आपूर्ति करता है। इन दोनों की कोयला खदान झारखंड और पश्चिम बंगाल में हैं। इन खदानों में इस समय पानी भरा हुआ है इससे कोयले की भरपूर मात्रा में खनन नहीं हो पा रहा है। ऊर्जा मंत्रालय की कोर मैनेजमेंट टीम लगातार इस मुद्दे पर नजर बनाए हुए हैं। बता दें कि बिहार को लगभग 5000 से अधिक मेगावाट बिजली की जरूरत होती है जिसमें से 4200 मेगा वाट की आपूर्ति एनटीपीसी के माध्यम से होती है। इस वक्त बिहार को एनटीपीसी से सिर्फ 3000 मेगावाट बिजली ही मिल पा रही है।