बिहार में इन दिनों नगर निकाय चुनाव के लिए प्रचार प्रसार जोर- शोर से चल रहा था। नगर पंचायत, नगर परिषद और नगर निगम के चुनाव के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई थी और पहले चरण का मतदान 10 अक्टूबर को होना था। इस बीच पटना हाई कोर्ट के हम फैसले से चुनाव का टलना पूरी तरह से तय हो गया है। स्थानीय निकाय चुनाव में ओबीसी के आरक्षण संबंधित शर्ते पूरी ना करने के कारण पटना हाईकोर्ट ने ओबीसी को आरक्षण देने से मना कर दिया है।
कोर्ट ने कही ये बात।
कोर्ट का कहना है कि नगर निकाय चुनाव में सरकार ने बगैर ट्रिपल टेस्ट के ईबीसी को आरक्षण दे दिया,जबकि आरक्षण देने के पूर्व राजनीति पिछड़ेपन वाली जातियों को चिन्हित किया जाना था। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि नियमों के मुताबिक तब तक स्थानीय निकायों में ओबीसी के लिए आरक्षण की अनुमति नहीं दी जा सकती, जब तक सरकार 2010 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित तीन शर्तें पूरी नहीं कर ली जाती है।
उपेंद्र कुशवाहा ने बताया बीजेपी की साजिश।
उपेंद्र कुशवाहा ने ट्वीट करते हुए कहा है कि, ‘बिहार में चल रहे नगर निकायों के चुनाव में अतिपिछड़ा आरक्षण को रद्द करने एवं तत्काल चुनाव रोकने का उच्च न्यायालय का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है। ऐसा निर्णय केन्द्र सरकार और भाजपा की गहरी साजिश का परिणाम है। अगर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने समय पर जातीय जनगणना करावाकर आवश्यक संवैधानिक औपचारिकताएं पूरी कर ली होती तो आज ऐसी स्थिति नहीं आती।
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