भाई ने ऑटो चलाकर पढ़ाया। बहन बन गई डिप्टी कलेक्टर। जानिए इनकी प्रेरणादायक कहानी।

एक बहुत मशहूर कथन है की अगर आप दिल से कुछ पाना चाहो तो पूरी कायनात उसे मिलाने में लग जाती है। बस उसे प्राप्त करने की दिशा में आपकी ईमानदारी भरी मेहनत होनी चाहिए। ऐसे ही कहानी है महाराष्ट्र के नांदेड़ से 35 किलोमीटर दूर एक गांव के वसीमा शेख की। जो बेहद गरीब परिवार में पल बढ़ कर भी चुनौतियों से जूझते हुए महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग की परीक्षा में तीसरा स्थान लाकर डिप्टी कलेक्टर बन गई।

मराठी बोर्ड से अपनी दसवीं की परीक्षा 82% अंकों के साथ पास की। फिर उसने 12वीं की परीक्षा भी 83% अंकों के साथ पास की। गांव से कॉलेज काफी दूर होने की वजह से वह कई किलोमीटर पैदल चलकर और फिर बस पकड़कर कॉलेज पहुंचती थी। उनके पिता मानसिक रूप से बीमार है और माता दूसरे के खेतों में मजदूरी करती हैं।

वसीमा बताते हैं कि है हमारे पास आर्थिक चुनौतियां थी इस वजह से मैंने डिस्टेंस मोड से अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखी। गांव में अभी भी लड़कियों के शिक्षा का विरोध किया जाता है लेकिन मेरी मदर और मेरे भाई ने मुझे काफी सपोर्ट किया। 2019 मैं सेल टैक्स ऑफिसर के पद पर चयनित हुई थी। परमानेंट गवर्मेंट जॉब होने के बावजूद भी मैंने एमपीएससी की तैयारी जारी रखी।
मैंने पूरी तैयारी घर से की है मैंने कोई कोचिंग ज्वाइन नहीं किया था।

वे आगे बताती हैं कि उनके भाई ने बैचलर ऑफ साइंस किया हुआ है। आर्थिक तंगी की वजह से वह ज्यादा नहीं पढ़ पाया और उसने पुणे में ऑटो रिक्शा चलाकर मेरी पढ़ाई में मदद की है। आज उनकी सफलता से पूरा परिवार खुश है। रिजल्ट के कुछ दिन पहले ही वसीमा की शादी भी हो चुकी है।