प्रदेश में बाढ़ से जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो चुका है। उत्तर बिहार की तमाम नदियां उफान पर हैं। गंगा के दियारा इलाकों में भी पानी भरा हुआ है। की एक बड़ी आबादी बाढ़ से बचने के लिए राहत शिविरों का सहारा ले रही है। उत्तरी और राज्य सरकार के अन्य मंत्री लगातार बाढ़ राहत शिविरों का जायजा ले रहे हैं। इस बीच सीएम नीतीश कुमार ने भी कहा कि प्रदेश के खजाने पर सबसे पहला अधिकार आपदा पीड़ितों का है। इधर मंत्री मुकेश साहनी ने घोषणा की है कि बाढ़ आपदा के दौरान अगर किसी किसान और पशुपालक भाई के मवेशी की जान चली जाती है तो उसे मुआवजा मिलेगा। राज सरकार पीड़ितों की मदद के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।
पशु एवं मत्स्य संसाधन विकास मंत्री मुकेश साहनी ने पत्रकारों से बात करते हुए यह घोषणा की। उन्होंने कहा कि अगर किसी किसान या पशुपालक भाई के गाय या भैंस की मृत्यु हो जाती है तो उसे ₹30 हजार का मुआवजा मिलेगा। एक पशुपालक अधिकतम तीन मवेशियों के लिए मुआवजा दे सकते हैं।
आपको बता दें कि बाहर राहत शिविरों में पशुओं के लिए भी अलग से व्यवस्था की गई है। जहां उनके लिए चारा और इलाज की उचित व्यवस्था की जा रही है। इससे पहले उन्होंने भागलपुर में पोल्ट्री फार्म का निरीक्षण किया। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने बताया कि राज्य सरकार पशुपालन को बढ़ावा देने का हर संभव प्रयास कर रही है और इस क्षेत्र में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं।