गांव और छोटे शहरों की लड़कियों के बारे में ऐसी धारणा बनी हुई है कि पढ़ाई करके छोटी-मोटी नौकरी कर लेती हैं या फिर उनकी शादी कर दी जाती है। लेकिन इस धारणा को बदला मेरठ के की रहने वाली पायल अग्रवाल ने। जिन्होंने कंप्यूटर साइंस से बीटेक की पढ़ाई की है। आज वह गोबर का खाद बनाकर महीने का लाखों कमा रही है।
उन्होंने बताया कि पढ़ाई पूरी होने के बाद प्लेसमेंट के वक्त मेरा भी दो तीन कंपनियों में चयन हुआ था। लेकिन मेरा इरादा था अपने शहर में ही रह कर कोई बिजनेस आइडिया पर काम करने का। मैं यह साबित करना चाहती थी कि छोटे शहर में भी रहकर आप अपने बड़े सपने पूरे कर सकते हैं।
बताती है कि हम निम्न मध्यमवर्गीय परिवार से आते थे। मेरे पिता ₹4000 की नौकरी करते थे हम किराए के घर में रहा करते थे। लेकिन इरादा था बचपन से ही कुछ अच्छा करने का। और आज मैं लाखों रुपए महीने का कमाती हूं। मैं चाहती थी कम लागत में अच्छा मुनाफा कमाने वाला कोई बिजनेस कर सकूं।
वे बताती हैं कि हमारे घर पर बचपन से ही किचन वेस्ट से हम लोग खाद बनाया करते थे और आस-पड़ोस के पौधों में डाल दिया करते थे। मुझे नहीं पता था यह हमारी छोटी मोटी एक्टिविटी आगे मेरा बिजनेस बन जाएगी। मैंने देखा कि जितने भी गौशाला आए हैं वहां पर काफी बड़ी मात्रा में गोबर फेंका जा रहा था उनके पास रखने की भी जगह नहीं थी। हमारा इलाका भी काफी एग्रीकल्चर बेल्ट है तो मैंने सोचा क्यों ना जैविक खाद बनाना शुरू किया जाए। फिर मैंने इंटरनेट पर रिसर्च किया वर्मी कंपोस्ट के बारे में। उसके बाद मेरठ से 15 दतावली गांव में जमीन की व्यवस्था की। वहां पर समर्सिबल लगवाया। शुरुआत में बहुत सारी चुनौतियां हैं हमारा समर्सिबल मोटर चोरी हो गया। शुरू में मार्केटिंग की सबसे बड़ी चुनौती थी अगर आप कोई प्रोडक्ट बना रहे हैं तो उसे कैसे बेचा जाए यह बहुत बड़ी चुनौती थी।
पहली बार उन्हें अपने उत्पाद को बेचने में 6 से 8 महीने लग गए। लेकिन जब धीरे-धीरे या बिकना शुरू हुआ तो अब उन्हें काफी मुनाफा हो रहा है। उन्होंने बताया कि शुरुआत के 3 सालों में चुनौतियां तो काफी आई मैं ट्यूशन पढ़ाकर के अपने खर्चे चलाती थी। उसके बाद जब हमारा प्रोडक्ट पिक नहीं लगा तो बहुत सारे लोग हम से जुड़ते गए। आज मैं दूसरे प्रदेशों में भी खाद बेचती हूं।
इस बिजनेस आइडिया के बदौलत वह महीने में लाख रुपए से भी ज्यादा कई इनकम करती हैं। इसके अलावा वह लोगों को ऐसे ही यूनिट लगाने की ट्रेनिंग भी देती हैं।