90 के दशक में उत्तर भारत के राजनीतिक परिवेश को पूरी तरह से बदल कर रख देने वाले उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव का गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया। मुझे राजनीति के क्षेत्र में नेताजी के नाम से जाना जाता था। नौ दिन तक मेदांता के आईसीयू और क्रिटिकल केयर यूनिट (सीसीयू) में जिंदगी और मौत के बीच जूझते रहने के बाद नेताजी ने सोमवार सुबह 8:16 बजे अंतिम सांस ली। 82 साल की उम्र में सोमवार सुबह उनका निधन हो गया।
पूरे देश में शोक की लहर।
उनके निधन पर पूरे देश में शोक की लहर है। पार्टी लाइन से ऊपर उठकर सभी राजनीतिक दल के लोगों ने उनके निधन पर दुख जताया है। उन्हें पिछड़ों, वंचितों किसान और मजदूरों की राजनीति करने के लिए जाना जाता है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, श्री लालू प्रसाद यादव सहित तमाम अलग-अलग पार्टी के नेताओं ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी उनके निधन पर शोक व्यक्त किया।
मेदांता अस्पताल पहुंचे गृह मंत्री अमित शाह।
गृह मंत्री अमित शाह उनके अंतिम दर्शन और परिवार वालों से मिलने के लिए मेदांता अस्पताल पहुंचे।
अमित शाह ने ट्वीट कर लिखा, मुलायम सिंह यादव जी अपने अद्वितीय राजनीतिक कौशल से दशकों तक राजनीति में सक्रिय रहे। आपातकाल में उन्होंने लोकतंत्र की पुनर्स्थापना के लिए बुलंद आवाज उठाई। वह सदैव एक जमीन से जुड़े जननेता के रूप में याद किए जाएंगे।
उत्तर प्रदेश में 3 दिन का राजकीय शोक।
यूपी का मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ के कैबिनेट की बैठक में मुलायम सिंह यादव को श्रद्धांजलि दी जाएगी। इस बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 3 दिन का राजकीय शोक घोषित किया है। वहीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि साधारण परिवेश से आए मुलायम सिंह यादव जी की उपलब्धियां असाधारण थीं। ‘धरती पुत्र’ मुलायम जी जमीन से जुड़े दिग्गज नेता थे। उनका सम्मान सभी दलों के लोग करते थे। उनके परिवार-जन व समर्थकों के प्रति मेरी गहन शोक-संवेदनाएं।
साधारण परिवार से उठकर देश की राजनीति में आए थे नेताजी।
मुलायम सिंह का जन्म 1939 में उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के सैफई में हुआ था। वह किसान परिवार से आते थे। उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर अध्यापक का काम किया। साथ ही साथ पहलवानी भी करते थे। छोटे कद के मुलायम सिंह यादव अपने से बड़े कद के कई पहलवानों को एक झटके में पटखनी दे देते थे। 1967 में पहली बार 28 साल की उम्र में विधायक बने। वे साईकिल पर घूम घूम कर प्रचार करते थे। अपने राजनीतिक कौशल की बदौलत 5 दिसंबर, 1989 को उन्हें लखनऊ के केडी सिंह बाबू स्टेडियम में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और मुलायम ने रुँधे हुए गले से कहा था, “लोहिया का ग़रीब के बेटे को मुख्यमंत्री बनाने का पुराना सपना साकार हो गया है।”