प्रदेश में विगत 24 अगस्त को जारी पंचायत चुनाव की अधिसूचना के बाद राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव की तैयारियों में जुट गया है। बता दें कि 24 सितंबर से लेकर 12 दिसंबर तक 11 चरणों में चुनाव कराए जाने हैं। इसको लेकर राज्य निर्वाचन आयोग हर दिन नए निर्देश जारी कर रहा है। इधर पंचायत चुनाव से पहले एक अहम बदलाव किया गया है। अब पर सरपंच कहीं से ज्यादा काम होगा। वहीं मुखिया जी के कार्य क्षेत्रों के के विस्तार को कम किया जाएगा।
बता दें कि त्रीस्तरीय पंचायत व्यवस्था में मुखिया का पद काफी पावरफुल माना जाता है। इससे पहले सरपंच के हिस्से न्यायिक और विवादों के निपटारे वाले काम ही होते थे। लेकिन अब हुए बदलाव के बाद सरपंच का कद काफी बढ़ गया है। अब नई व्यवस्था के तहत मुखिया को जहां ग्राम सभा और पंचायतों की बैठक बुलाने का अधिकार होगा, वहीं इनके जिम्मे विकास योजनाओं के लिए मिलने वाली पंजी की निगरानी की भी जिम्मेदारी होगी। वहीं सरपंच के हिस्से, गांवों में सड़कों के रखरखाव से लेकर सिंचाई की व्यवस्था, पशुपालन व्यवसाय को बढ़ावा देने जैसे कार्य की जिम्मेवारी सौंपी गई है।
पंचायती राज विभाग से मिली जानकारी के अनुसार अब मुखिया को साल भर में 4 बैठकर आयोजित करनी होगी। इसके अलावा ग्राम पंचायतों के लिए तय किए गए टैक्स, चंदे और अन्य शुल्क की वसूली का इंतेजाम करने का काम भी मुखिया जी का होगा।
वहीं सरपंच को भी ग्रामसभा की बैठक बुलाने और उसकी अध्यक्षता करने का अधिकार दिया गया है।
इनके पास ग्राम पंचायत की कार्यकारी और वित्तीय शक्तियां भी होंगे। इसके अलावा गांव की सड़कों की देखभाल, पशुपालन व्यवसाय को बढ़ावा देना, सिंचाई की व्यवस्था करने के अलावा दाह-संस्कार और कब्रिस्तान का रखरखाव करने का काम भी सरपंच के जिम्मे होगा।
इसके अलावा पंचायत समिति के प्रमुख को भी आपदा के समय में ₹25000 खर्च करने की अनुमति होगी।