आने वाले छह सात महीनों में देश में नया टेलीकॉम कानून आने जा रहा है। इस नए कानून की जद में व्हाट्सएप सहित ओटीटी प्लेटफॉर्म भी आएंगे। फिलहाल ड्राफ्ट नोटिफिकेशन ही जारी किया गया है लेकिन बाद में सुझाव वगैरह मिलने के बाद इसका फाइनल नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा।
कंपनियों को लेना पड़ेगा लाइसेंस।
इस ड्राफ्ट बिल में कहा गया है कि ओटीटी सेवाओं को भी अब दूरसंचार सेवाओं का एक हिस्सा माना जाएगा। इन सेवाओं को उपलब्ध कराने वाली कंपनियों को अब इन सर्विसेज के लिए लाइसेंस लेना पडेगा। जिसका सीधा असर मोबाइल यूजर्स की जेब पर पडे़गा। ड्राफ्ट बिल के अनुसार इन सेवाओं को उपब्ध कराने वाली कंपनियों को लाइसेंस के लिए फीस जमा करानी होगी, अगर कंपनी इस लाइसेंस को सरेंडर करती हैं, तो उनको फीस वापिस कर दी जाएगी।
व्हाट्सएप कॉल के देने पड़ सकते हैं पैसे।
हालांकि हम इंटरनेट के माध्यम से किसी भी ऐप्स से वीडियो या ऑडियो कॉलिंग करने के लिए डेटा कॉस्ट के रूप में चार्ज देते हैं। लेकिन ये संभव है कि इस बिल के आने के बाद कॉलिंग की सेवा उपलब्ध कराने वाली WhatsApp या दूसरी कंपनी इसके लिए एकस्ट्रा चार्ज लेने लगे। या फिर कुछ सेवाओं के लिए मेंबरशिप लेनी पडे। क्योंकि कंपनियां, लाइसेंस खरीदने पर जो पैसा खर्च करेंगी उसके उपभोक्ताओं से ही वसूलेंगी।
कॉल करने वाले का पता चलेगा नाम।
इस ड्राफ्ट नोटिफिकेशन यूजर्स के लिए जो सबसे महत्वपूर्ण और अहम मुद्दा है वो है राइट टू नो यानी कि अब ग्राहकों को ये पता होगा कि वॉट्सऐप या दूसरे ओटीटी प्लेटफॉर्म पर जो उनको कॉल या मैसेज कर रहा है, वो कौन है। इसका मतलब ये हुआ कि इस बिल के पास होने के बाद यूजर्स को ये जानने का हक होगा कि उनको कौन कॉल कर रहा है और कहां से कर रहा है।