पिछले वर्ष आई कोरोना महामारी ने न जाने कितनों की माली हालत खराब कर दी। भारत समेत कितने देशों का विकास का पहिया थम सा गया। निजी क्षेत्र में लाखों करोड़ों लोगों की नौकरियां चली गई। जब हर तरफ यह सब कुछ हो रहा था उसी समय बिहार के रहने वाले एक क्लर्क चंदन कुमार सिन्हा ने घोटाला करके कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) खाते से 21 करोड़ रुपए उड़ा लिए।
ईपीएफओ के इस घोटालेबाज क्लर्क ने इस कारनामे को मुंबई ऑफिस के कुछ कर्मचारियों के साथ मिलकर अंजाम दिया। दावा किया जा रहा है कि इसमें कथित तौर पर करीब 21 करोड़ रुपए के पीएफ फंड का घोटाला हुआ। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि निकालने के लिए इसके लायक ने फर्जी निकासी का सहारा लिया। जिसके लिए इस व्यक्ति ने 817 बैंक खातों का इस्तेमाल किया। ये सभी बैंक अकाउंट प्रवासी मजदूरों के थे। इनके जरिए करीब 21 करोड़ निकालकर सिन्हा ने उन्हें अपने खाते में जमा कर लिया।
अभी ईपीएफओ के इंटरनल इंक्वायरी बाकी है। लेकिन जो बातें सामने आ रही है उससे पता चलता है किचन खातों से आजकल इतने पैसे निकाले हैं उससे अपने खाते के बजाय किसी और खाते में पैसे ट्रांसफर किए हैं। घोटाले का पर्दाफाश हुआ तो जांच शुरू होने के बाद चंदन कुमार फरार है। घोटाले में शामिल अन्य 5 लोगों से भी पूछताछ की जा रही है।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार घोटाले में किसी ग्राहक के व्यक्तिगत अकाउंट का दुरुपयोग नहीं किया गया है बल्कि, इसमें वही रकम निकाली गई, जो पूल फंड थी। यह सीधे तौर पर ईपीएफओ को नुकसान है। इसमें किसी व्यक्ति का नुकसान नहीं है। इस घोटाले के सामने आने के बाद ईपीएफओ अपनी प्रक्रिया में बदलाव करने जा रहा है।
घोटालेबाज चंदन कुमार जो 37 वर्ष का है। उसने 2005 में मगध यूनिवर्सिटी से फिलॉसफी में ग्रेजुएशन किया है। घोटाले करके उसने काफी रकम जमा कर ली थी। उसके पास कई स्पोर्ट्स कार, महंगी महंगी गाड़ियां हार्ले डेविडसन मौजूद थे। इसकी शिकायत किसी ने बिना नाम पते के एक चिट्ठी से की जो शायद उनका कोई रिश्तेदार ही था जिसने उस क्लर्क के हाईप्रोफाइल लाइफ स्टाइल के बारे में बताया था।