हर साल लाखों की संख्या में बच्चे यूपीएससी की तैयारी करते हैं लेकिन इसमें सफल मात्र कुछ ही बच्चे हो जाते हैं इस परीक्षा को तैयारी करने के लिए बच्चों को कई तरह के त्याग करने पड़ते हैं और साथ ही साथ लगन से काफी लंबे समय तक पढ़ाई करनी पड़ती है.
कई ऐसे बच्चे हैं जो काफी महंगी महंगी कोचिंग में पढ़ते हैं लेकिन कुछ ऐसे बच्चे हैं जो सेल्फ कॉन्फिडेंस के बदौलत इस परीक्षा को पास करके दिखाते हैं.आज हम आपको एक ऐसी लड़की की कहानी बताने वाले हैं. जिसने कई बार इस परीक्षा में फेल होने के बाद हार नहीं मानी और self-study के बदौलत इस परीक्षा को पास किया.
उपासना हमेशा से एक ब्रिलियेंट स्टूडेंट रहीं हैं और लगभग हर कक्षा में उनके अंक सबसे अच्छे ही आते थे। लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं था कि वे खेलकूद और दूसरी एक्टिविटीज़ में हिस्सा नहीं लेती थीं। वे पढ़ाई के साथ-साथ एक्सट्रा क्यूरिकुलर एक्टिविटीज़ में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती थीं। कुल मिलाकर वे काफी बैलेंस्ड थीं। उपासना ने आईसीएसई बोर्ड से कक्षा दस 96 परसेंट अंकों के साथ पास किया। इसके बाद डीएवी स्कूल से क्लास 12 पास किया।
इसके बाद उन्होंने मिरांडा हाउस, दिल्ली का रुख कर लिया जहां से उन्हें सिविल सर्विसेस में जाने की प्रेरणा मिली। उपासना ने फिजिक्स ऑनर्स से पढ़ाई करते समय यहां भी झंडे गाड़े और 91.3 प्रतिशत अंकों के साथ कॉलेज के टॉपर्स में शुमार हो गयीं।
एक इंटरव्यू में उपासना ने बताया कि उनके पिताजी अशोक मोहपात्रा ओडिशा में सीनियर जर्नलिस्ट थे और मां संजुक्ता मोहपात्रा टीचर हैं। इस प्रकार उनके घर में हमेशा से पढ़ाई का माहौल था जिसका प्रभाव उन पर हमेशा रहा है।
मिरांडा हाउस से ग्रेजुएशन करने के तुरंत बाद ही उपासना ने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी थी। वैसे तो उपासना काफी आउटगोइंग हैं लेकिन इस परीक्षा की तैयारी के दौरान उन्होंने खुद को सिर्फ पढ़ाई के लिए समर्पित कर दिया था। फिजिकल एक्सरसाइज़ के अलावा उपासना ने खुद को हर चीज से दूर कर लिया था और केवल तैयारी पर ध्यान दे रही थीं।
पहली बार में उनका प्री में भी नहीं हुआ था पर उन्होंने हार नहीं मानी और पहले साल की गलतियों से सीखते हुये दूसरे साल तैयारी की। नयी स्ट्रेटजी बनायी, सफल लोगों से टिप्स लिये पर किया अपने मन का। दूसरी बार की कोशिश में उपासना ने साल 2017 में 119वीं रैंक पाकर अपने आईएएस बनने के सपने को पूरा किया। कड़ी मेहनत और सिर्फ अपने दम पर एक पत्रकार की बेटी ने अपने सपने को हकीकत में बदला।