देश और प्रदेश में इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। अब तो छोटे कस्बों और ग्रामीण इलाकों में भी ई रिक्शा अच्छी खासी संख्या में दिखने लगे हैं। ई रिक्शा में सबसे ज्यादा समस्या इसके चार्जिंग को लेकर आती है। लेकिन अब इसका एक हल निकल चुका है। ऐसे में, इस समस्या का एक वैकल्पिक और संभव समाधान बैटरी स्वैपिंग है। दिल्ली स्थित स्टार्टअप,‘चार्ज-अप’ इलेक्ट्रिक रिक्शा चालकों को यह सेवा प्रदान कर रहा है।
इस स्टार्टअप से न केवल ड्राइवरों की आय बढ़ रही है, बल्कि कई टन कार्बन फुटप्रिंट भी कम हो रहा है। दिल्ली-एनसीआर में, प्रतिदिन 320 इलेक्ट्रिक रिक्शा बैटरी स्वैपिंग के साथ, इस EV स्टार्टअप ने एक वर्ष में, लगभग 500 टन CO2 उत्सर्जन को बचाने का दावा किया है।
इसकी स्थापना 2019 में, वरुण गोयनका और अक्षय यह एक सब्सक्रिप्शन आधारित सेवा है जिसमें कोई भी ई-रिक्शा चालक रुपए देकर के फूली चार्ज बैटरी ले सकता है। चालक को प्रति किलोमीटर 1.3 रुपए का खर्चा आता है। इससे ई रिक्सा चालकों को बैटरी चार्ज करने की परेशानी से मुक्ति मिली है क्योंकि बैटरी के चार्ज करने में लगभग 5 से 6 घंटे का वक्त लग जाता है। यह स्टार्टअप भारत-निर्मित उन्नत लिथियम-आयन बैटरी मुहैया कराता है, जिसका वजन 13 किलो है। यह पारंपरिक वाहन की बैटरी (120 किलो) की तुलना में इसे संभालना बहुत आसान है। इस्तेमाल की हुई बैटरी को देने और चार्ज बैटरी को लेने में दो मिनट का समय लगता है।बैटरी की अदला-बदली करके, रिक्शा प्रतिदिन 200 किमी की दूरी तय करती है। जबकि, अगर बैटरी रिचार्ज की जाए, तो वह 80 किमी की ही दूरी तय कर सकती है।
फिलहाल यह सेवा अभी सिर्फ दिल्ली एनसीआर में उपलब्ध है।