कॉर्निया ट्रांसप्लांट कराने वाले मरीजों को अब बिहार से बाहर जाने की जरूरत नहीं है। राजधानी पटना स्थित इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान(आईजीआईएमएस)
में अब कोर्निया ट्रांसप्लांट की सुविधा शुरू कर दी गई है। इसके तहत अब बिना टांका लगाए ही आंख की पुतली को बदल दिया जाएगा। आईजीआईएमएस प्रदेश का पहला ऐसा संस्थान होगा जहां पर यह सुविधा शुरू की गई है।
इसका परिणाम परंपरागत प्रत्यारोपण से कई गुना बेहतर है। इसके तहत अब सिर्फ एक से डेढ़ घंटे में ही ट्रांसप्लांट हो रहा है। साथ ही मरीज व डॉक्टरों का समय भी बचने लगा है। इस नयी तकनीक का नाम पोसीरियर लैमिलर क्रेटोप्लास्टी है।
पारदर्शी पुतली कई कारणों से खराब होकर सफेद हो जाती है. इससे मरीज को दिखाई देना बंद हो जाता है. कुछ रोगों में सिर्फ लेयर यानी परत ही खराब होती है. कुछ अन्य बीमारियों में सभी लेयर खराब हो जाती हैं.
मेडिकल कॉलेज में अब तक होने वाले प्रत्यारोपण में फुल थिकनेस कॉर्निया ट्रांसप्लांट होता था। इस प्रक्रिया में खराब पुतली को काट कर हटाने के बाद नेत्रदान से मिली नयी पुतली को लगाया जाता था। इस पुरानी विधि के तहत पुतली को चारों ओर से 16 टांकों के माध्यम से जोड़ दिया जाता था।
पोसीरियर लैमिलर क्रेटोप्लास्टी में मरीज की पुतली को काटने की जरूरत नहीं पड़ती। सिर्फ एक एमएम के चीरे से आंख के अंदर खराब परतों को निकालते हैं। बाकी हिस्से को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाता।
आईजीआईएमएस में कॉर्निया ट्रांसप्लांट कराने वालों को बहुत कम खर्च आएगा वहीं निजी अस्पतालों में इसका खर्चा एक लाख से ऊपर आता है।