अब पौधों की मदद से साफ किया जाएंगे प्रदेश के नाले। बिहार सरकार ने 13 शहरों के लिए बनाई योजना।

अक्सर हम नालों की सफाई में परंपरागत तरीके का इस्तेमाल होता देखते आए हैं। सरकार ने अब एक खास तरह की तकनीक का इस्तेमाल करने का फैसला किया है। अब सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट या आदमी की मदद से नहीं बल्कि पौधों की मदद से नालों की सफाई की जाएगी। सरकार ने इस के लिए कार्य योजना तैयार की है। प्रदेश के 13 जिलों के 33 बड़े नालों की सफाई जैविक उपचार विधि से की जाएगी।

इसके तहत हेलो मैं और नालों के किनारे किनारे एक खास किस्म के पौधे लगाए जाएंगे। इस तकनीक के तहत शहर के गंदे नालों में थोड़ी-थोड़ी जगह छोड़कर पत्थर की लेयर बना दी जाती है। इस छोड़े गए स्थान पर जलीय पौधे जैसे केटटेल, छोटा बैबू, कोलेशिया को लगा दिया जाता है। ये जलीय पौधे होते हैं इनके लिए पानी जरुरी होता है। इन पौधों की जड़ें पानी के अंदर जाल की तरह फैलती है। इस जाल में पानी के साथ बहकर आने वाली गंदगी रूक जाती है। नगर विकास एवं आवास विभाग ने इसके लिए प्राइवेट कंपनियों से निविदा आमंत्रित की है।

नगर विकास विभाग के अनुसार इस प्रोजेक्ट को 1 साल के अंदर पूरा कर लिया जाएगा। इस योजना के तहत मुजफ्फरपुर, रोहतास, गोपालगंज, जमुई, मोतिहारी, समस्तीपुर, आरा, दरभंगा, गया, औरंगाबाद बक्सर और अरवल जिले में प्लांट लगाए जाएंगे।

जैविक उपचार विधि के तहत प्राकृतिक तरीके से नालों की सफाई के लिए वातावरण विकसित किया जाता है।
पौधों को नालों के दोनों तरफ लगाया जाता है जो कचरा को अवशोषित कर लेता है। नाले का पानी पीना किसे केमिकल का इस्तेमाल किए प्राकृतिक तरीके से साफ हो जाता है।