तालिबान के पास कहां से आता है इतना पैसा और हथियार? कैसे बना था यह संगठन ?।

तालिबान, आज हर कोई इस नाम से परिचित है। क्योंकि हाल में ही इसने फिर से अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा कर लिया। एक कट्टरपंथी आतंकवादी संगठन है जो अब राजनीतिक भी होते जा रहा है। अब इसने अफगानिस्तान में सरकार बनाने का दावा किया है।

हम बात करने जा रहे हैं तालिबान के इतिहास के बारे में और उसके फाइनेंस के बारे में, कि आखिर कहां से उसके पास इतना पैसा आता है। तालिबान एक पोस्तो का शब्द है जिसका अर्थ होता है स्टूडेंट अथवा छात्र। क्योंकि शुरू में यह एक छात्रों का ही संगठन था जो ऐसे कट्टरपंथी इस्लामिक मदरसों से पढ़ कर के निकले थे।

1992 में अफगानिस्तान के कंधार में रहने वाले मुल्ला मोहम्मद ओमर ने 50 हथियारबंद लड़ाकों के साथ मिलकर तालिबान बनाया था। उस वक़्त अफ़ग़ानिस्तान में सिविल वार यानी गृह युद्ध चल रहा था। सोवियत यूनियन के अफ़ग़ानिस्तान से चले जाने के बाद कबायिली वारलॉड्स आपस में अपना वर्चस्व कायम करने की लड़ाई लड़ रहे थे। उसी वक़्त मुल्ला ओमर ने लोगों को धार्मिक कट्टरपंथ से जोड़ना शुरु किया। उसने कहा कि अफगानिस्तान में इस्लाम खतरे में है यहां पर इस्लामिक अमीरात शरिया कानून लागू करने की जरूरत है। उसकी ये सोच अफगानिस्तान में आग की तरह फैल गई। एक महीने के अंदर ही करीब 15,000 लड़ाके तालिबान के साथ जुड़ गए।

हथियार और पैसे के दम पर मुल्ला ओमर ने अफगानिस्तान पर कब्जा करने की कवायद शुरू कर दी थी। 3 नवंबर 1994 को तालिबान ने कांधार शहर पर हमला किया। दो महीने के अंदर ही तालिबान ने अफगानिस्तान के 12 राज्यों में अपना कब्जा जमा लिया। आखिर 1996 में तालिबान का पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा हो गया और उसने 5 सालों तक अफगानिस्तान पर शासन किया। फिर 9/11 के अमेरिकी हमलों के बाद अमेरिकी दखलंदाजी के बाद तालिबान को सत्ता से हटा दिया गया और अमेरिकी समर्थित हामिद करजई की सरकार बनी।

उसके बाद तालिबान दहशतगर्दी पर उतर आया। और आखिर 20 सालों की लड़ाई के बाद आज फिर से अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया।

तालिबान की आय का सबसे बड़ा स्रोत अफीम की खेती है। ये नसे का कारोबार करते हैं। दुनिया के कुल अफीम का लगभग 70% अफगानिस्तान से जाता है। अफगानिस्तान की पूरी अफीम की खेती का लगभग 96% क्षेत्र पर तालिबान का कब्जा है। फोर्ब्स की 2016 की एक रिपोर्ट के अनुसार तालिबान के पास 400 मिलियन डॉलर की संपत्ति बताई गई है। इसके अलावा इसे पाकिस्तान की एजेंसी आईएसआई की तरफ से भी धन और हथियार मुहैया कराया जाता है। और कई अरब के इस्लामिक देश भी इसे आर्थिक रूप से मदद पहुंचाते हैं।