मैं पढ़ते समय हमेशा याद रखता था अपने पिता का संघर्ष,IAS शुभम कुमार ने बताई UPSC में सफलता का राज

एक आईएएस ऑफिसर है और उनसे आज लाखों युवा प्रेरणा लेते हैं. आपको बता दें कि सालों मेहनत के बाद शुभम कुमार ने यूपीएससी में सफलता हासिल की है और यूपी में सफलता हासिल करने के बाद बिहार ही नहीं बल्कि पूरे भारत के लोग शुभम कुमार से प्रेरणा लेते हैं.

IMG 20230211 WA0048

शुभम कुमार ने अपने यूपीएससी के दौरान की सभी जन ने लोगों से शेयर किया और बताया कि कैसे वह 5 सालों तक आईएएस ऑफिसर बनने के लिए फिल्मों से दूर रहें. शुभम ने बताया कि मैं हमेशा अपने पिता का सपना पूरा करना चाहता था यही वजह था कि मैं कभी भी मेहनत से नहीं भागा.

 

 

कई बार मेरी हिम्मत टूट जाती थी। लेकिन माता-पिता और भाई के सहयोग से ही ऐसा हो पाया है। मैं सिर्फ 7-8 घंटे पढ़ाई करता था। पिछली बार मेरा चयन इंडियन डिफेंस अकाउंट सर्विस में हो गया था। लेकिन मैं आईएएस बनना चाहता था। इसलिए मैंने तीन बार एग्जाम दिया। शुभम पहली बार वह असफल रहे, दूसरी बार में 290 रैंक आई और तीसरी कोशिश में नंबर एक रैंक आई। शुभम का घर कटिहार के कदवा प्रखंड के कुम्हरी गांव में है।

शुभम ने बताया था कि साल 2018 में यूपीएससी की तैयारी शुरू की। इस दौरान काफी उतार-चढ़ाव भी देखने को मिला। हालांकि, उन्होंने फोकस बनाए रखा और जितना हो सकता था उतनी कोशिश अपनी तरफ से की। कोरोना में काफी मुश्किल दौर था, लेकिन मोटिवेशन था कि तैयारी करना है। उन्हें घर से काफी सपोर्ट मिला। जिसके चलते मुझे ये कामयाबी मिल सकी। शुभम के पिता देवानंद सिंह ने बताया कि वह शुरू से ही काफी टैलेंटेड था। शुभम के पिता ने बताया कि पढ़ाई के प्रति लगन देखकर उन्होंने हर संभव प्रयास किया कि उनके पढ़ाई में कोई कमी ना रहे।

 

IMG 20230211 WA0045
शुभम ने जब परीक्षा क्लियर किया तो वे इंडियन डिफेंस अकाउंट सर्विस में ट्रेनिंग कर रहे थे। पूर्णिया के बाद कटिहार और फिर पटना में पढ़ाई करने वाले शुभम ने बोकारो से 12वीं की। फिर बॉम्बे आईआईटी से सिविल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की है। उन्होंने बताया कि जब वो 6वीं क्लास में थे तभी पढ़ाई के दौरान एक घटनाक्रम हुआ, जिसके बाद उन्होंने पटना से पढ़ाई का फैसला लिया।

IMG 20230211 WA0047

दरअसल, हुआ ये कि कटिहार में जब वो 6वीं क्लास में थे तो उनके एक जवाब को उनके शिक्षक ने गलत कह दिया। शुभम के मुताबिक, उन्हें अपना जवाब सही लग रहा था, बावजूद इसे शिक्षक के गलत करार देने से बेहद आहत हुए। फिर उन्होंने स्कूल बदलने का फैसला कर लिया। यही नहीं उन्होंने पटना का रुख किया और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा।